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आत्मविश्वास Akhil Akhilesh

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वक्त के साथ बदल जाना अच्छा होता है तुरंत कुछ लोग होते हैं जो वक्त को बदलने के लिए निकलते हैं और वक्त को वही बदल पाते हैं जिनके अंदर आत्मविश्वास और धैर्य कूट-कूट कर भरा होता है।।

मेरा मन! Akhil Akhilesh

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कभी-कभी मैं बहुत व्याकुल हो जाता हूं अपने पढ़ाई को लेकर, करियर को लेकर और भविष्य को लेकर.. ऐसा नहीं है कि मैं इन सब के लिए मेहनत नहीं कर रहा परंतु फिर भी पता नहीं क्यों कहीं ना कहीं से आकर नकारात्मक शक्ति मुझे थपड़ मार ही देती है, शायद मैं कम वक्तों में विजय होना चाहता हूं,।। एक बात मैं समझ गया हूँ अगर जीवन में कुछ अलग करने की ज़िद है तो फिर दुनियादारी के मोह का त्याग करना ही पड़ेगा..!!! मेरा मन! Akhil Akhilesh

उसे आईलाइनर पसंद था, मुझे काजल। Akhil Akhilesh

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                                    उसे आईलाइनर पसंद था, मुझे काजल। वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी, और मैं अदरक की चाय पे। उसे नाइट क्लब पसंद थे, मुझे रात की शांत सड़कें। शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे, मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद था। लेखक बोरिंग लगते थे उसे, पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता। मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था। उसकी बातों में महँगे शहर थे, और मेरा तो पूरा शहर ही वो। न मैंने उसे बदलना चाहा न उसने मुझे। एक अरसा हुआ दोनों को रिश्ते से आगे बढ़े। कुछ दिन पहले उनके साथ रहने वाली एक दोस्त से पता चला, वो अब शांत रहने लगी है, लिखने लगी है। आधी रात को अचानक से उनका मन अब चाय पीने को करता है। और मैं...... मैं भी अब अक्सर कॉफी पी लेता हूँ किसी महँगी जगह बैठकर। ❤️ #bhaskar  Akhil Akhilesh अखिल अखिलेश

दुनिया कि नज़र Akhil Akhilesh

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आप पढ़ाई में कितने भी मेघावी हों, कितनी ही मेहनत किये हो, रात दिन एक करके, सब भोग विलास सुख सुविधाओं को छोड़ कर केवल पढ़ाई किये हो पर फिर भी किसी कारणवश अगर आपका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आता है तो दुनिया के नज़र में सब व्यर्थ है। Akhil Akhilesh अखिल अखिलेश

मेरा पटना

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अखिल अखिलेश पटना शहर में भीड़भाड़ और भागदौड़ का माहौल है। यहां लोगों में जिंदगी एवं अपने सपनों को लेकर विचित्र सा कोलाहल है.. पीछे छूट जाने के भय से सब भागे जा रहे हैं.. पुस्तकों की गुलजार बाजार और कोचिंग सेंटरो की भरमार देखकर प्रतीत होता है यहां जीवन संवारने का एकमात्र जरिया है "अध्ययन"। ~ Akhil Akhilesh

खुद पर विश्वास। अखिल अखिलेश

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खुद की कहानी खुद ही लिखनी पड़ेगी...स्वयं ही तकलीफों से पार पाना होगा,कोई भी मदद करने नहीं आएगा। दोस्त हों या अन्य कोई करीबी मैं तो अब यह आशा रखना ही छोड़ दिया कि कोई मुसीबत में मेरा साथ देगा। मैं स्वयं सबसे लड़ने में सक्षम हूं, यह घमण्ड नहीं किन्तु खुद पर विश्वास का प्रतीक है..!!  Akhil Akhilesh

मेरा गाँव

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मुझे बचपन से ही उस शहर में कभी नहीं रहना था जहां ज्यादा भीड़भाड़ हो, ज्यादा ट्रैफिक हो, ज्यादा शोर हो और शायद इसीलिए मुझे मेरा गांव बेहद पसंद है, मैं मानता हूं शहर में काफी सुख सुविधाएं मिल जाती है परंतु मैं उन सुख-सुविधाओं का क्या करूंगा जब मेरा मन ही शांत ना होगा..!!! Akhil Akhilesh

Akhil Akhilesh

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  जिम्मेदारी बहुत बड़ी चीज है। हँसते,खेलते मुस्करातें चेहरे एक दिन अचानक से जिम्मेदार हो जाते हैं और मौन भी। अचानक से लंबी #नींद scheduled हो जाती है। अचानक ही सारे हिसाब-किताब,सारी दुनियादारी आ जाती है। रोते नही है,छिपा लेते हैं गम। झूठ बोलना सीख जाते हैं-हॉं ठीक हूँ,सब बढ़िया है। रातें छोटी हो जाती हैं और सपने बड़े। समस्याओं से घिरे होते हुए भी मजबूती से पकड़े रहते हैं जिम्मेदारी की डोर। ये दुनिया डराती है,उलझाती है लेकिन हारते नही वो,बस लड़ते रहते हैं खुद से...महज इस उम्मीद में कि किसी दिन उठेंगे बन्द कमरों से...और आसमान छू लेंगे। #जिम्मेदारी